गंगासागर से शिव कुमार रौत। हर तपस्वी की यही इच्छा होती है कि वह धर्म के मेले में शाही स्नान का हिस्सा बने। मानो गंगा स्नान उनके जीवन का सबसे बड़ा तीर्थ हो। इसी भाव से अलग-अलग आखाड़ों के साधु-संत बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में स्थित सागरद्वीप पहुंचे हैं। इसमें नागा साधुओं सहित किन्नर साधुओं का जत्था भी शामिल है।
शाम 6:53 बजे गंगासागर में शाही स्नान करेंगे नागा साधु
मुहूर्त के होश से ये नागा साधु-संत रविवार (15 जनवरी) की शाम 6:53 बजे ठंड को मात देने के लिए शाही स्नान करेंगे। गंगासागर मेले में इन साधू संतों की उपस्थिति आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गई है। शरीर पर भस्म लगे हुए और सिर पर लंबे जटाओं की पारंपरिक पहचान के साथ कुछ नागा गागल्स, मोबाइल फोन व हाथों में चंवर लिए नजर आ रहे हैं।
आकर्षण का केंद्र बने किन्नर साधु
सिर पर पगड़ी, भगवा वस्त्र और बदन पर जेवर पहने हुए किन्नर साधु लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। लोगों के बीच इनसे लाभ पाने की होड़ मची है। किन्नर अखाड़े के प्रमुख श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री उर्मिला नंद गिरि महराज बताते हैं कि किन्नर अखाड़े को काफी विरोध के बाद मान्यता मिली है। संघर्ष काफी कठिन है। पहले कई लोगों ने हम पर कटाक्ष किया, लेकिन अब मनमुताव दूर कर दिए गए हैं।
मानवता की सेवा हमारा उद्देश्य : उर्मिला नंद ग्राहिणी
श्री उर्मिला नंद गिरिराज ने कहा कि मानवता की सेवा हमारा उदेश्य है। किन्नर अखाड़ा की ओर से प्रतिदिन तीर्थयात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है। प्रशासन ने उत्तम व्यवस्था की है।’ वहीं, नागा साधुओं का कहना है कि बाकी सब तो ठीक है। हमें रात भर अलाव जलाना पड़ता है। लकड़ी के दृश्य होने से अलाव नहीं जला रहे हैं।
एक नजर किन्नर आखाड़ा के इतिहास पर
पिछले कुछ वर्षों में किन्नर अखाड़ा का अस्तित्व उभरकर सामने आया है। किन्नर अखाड़ा का गठन वर्ष 2013 में किया गया। ये किन्नर संत समलैंगिक समुदाय के लोग हैं, जिन्होंने संन्यास लिया है। सागर द्वीप में मकर संक्रांति के रूप में किन्नर संतों ने विश्व में शांति और देश की प्रगति की कामना की।