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सरकार को घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कस्टम ड्यूटी में कम से कम पांच वर्ष तक कोई भी बदलाव नहीं करना चाहिए। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने बजट-पूर्व सुझावों में बुधवार को यह कहा।
जीटीआरआई ने यह भी कहा कि कलपुर्जों पर आयात शुल्क जारी रखा जाना चाहिए, उलट शुल्क के मुद्दों को हल किया जाना चाहिए और कानूनी पचड़ों तथा भ्रम से बचने के लिए सीमा शुल्क स्लैब को मौजूदा के 25 से घटाकर पांच कर देना चाहिए। इसमें कहा गया कि ये सुझाव चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक माहौल से निपटने के लिए भारत को तैयार करेंगे।
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संस्थान ने कहा कि दुनियाभर के देश कठिन वैश्विक परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हो गए हैं और इसके मद्देनजर भारत को पांच साल के लिए (आयात) शुल्क में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा करनी चाहिए। उसने कहा, ”कोई भी बदलाव उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई), चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम और विनिर्माण पहल के लिए प्रतिकूल साबित हो सकता है। सरकार को आयात शुल्क घटाने जैसा कदम आर्थिक परिदृश्य साफ होने पर ही उठाने चाहिए।’
जीटीआरआई ने कहा कि सभी इलेक्ट्रॉनिक और जटिल इंजीनियरिंग वाले उपकरणों में हजारों कलपुर्जे होते हैं और भारत एक सच्चा विनिर्माता तभी बन सकता है जब कलपुर्जों का निर्माण भी यहां पर हो। उसने कहा, ”लेकिन अगर कलपुर्जों पर शुल्क शून्य होगा तो उनका आयात किया जाएगा और इसके परिणामस्वरूप भारत में अंतिम उत्पादन को बस जोड़ने का ही काम होगा। यह काम करने वाली ज्यादातर कंपनियां प्रोत्साहन खत्म होने के बाद गायब हो जाती हैं।”
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संस्थान ने कहा कि भारत में शून्य से लेकर 150 प्रतिशत तक सीमा शुल्क के 26 से ज्यादा स्लैब हैं जिससे विवाद और कानूनी पचड़े पैदा होते हैं। उसने कहा कि बजट 2023-24 में सरकार को कर स्लैब को घटाकर पांच तक कर देना चाहिए।