बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
माघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी की शुरुआत 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रही है जोकि 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी.मान्यता है कि बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है।
सरस्वती पूजा में इन सामग्रियों का उपयोग करें
पीले रंग का फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की मिट्टी
पीले रंग की छत के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल का लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षरत
भरे हुए केले के फली का पिष्टक
बसंत पंचमी के अन्य नाम
बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद सर्दियां समाप्त हो जाती हैं। इस दिन ज्ञान, संगीत की देवी की पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है। इसलिए इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत करना भी काफी शुभ रहता है।
बसंत पंचमी पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक धारण देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीला वस्त्र, पीला फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का उपयोग करना चाहिए।
बसंत पचंमी कथा
बसंत पंचमी की धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जब दुनिया का निर्माण किया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं के बारे में सब कुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने मंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में किताब थी। तीसरी में माला और चौथा हाथ वरमुद्रा में था। यह देवी मां सरस्वती थीं। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संसार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह दिन बसंत पंचमी का था। तब से मां सरस्वती की पूजा होने लगी।
बसंत पंचमी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार बसंत पंचमी के अवसर पर ही मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था, तब संपूर्ण संसार को वाणी और ज्ञान प्राप्त हुआ था। वसंत पंचमी को माता सरस्वती की जयंती होती है। इस दिन सरस्वती माता की पूजा पाठशालाओं में की जाती है। उनके ज्ञान और कला का आशीर्वाद लिया जाता है।
विद्या-दात्री माँ शारदा के निम्न मंत्र पर ध्यान देना चाहिए
या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा – वस्त्रावृता,
या वीणा – वार – दंड – मंडित – करा, या श्वेत – पद्मासना।
या ब्रह्माच्युत – शङ्कर – प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष – जाड्यापहा।
सरस्वती पूजा के दिन बनवाएं व्यंजन
आपको बता दें कि सरस्वती पूजा भारत के लोग काफी खास तरीके से मनाते हैं। इस दिन तरह- तरह के व्यंजन के साथ ही हम अपने घर में शाम की आरती भी करते हैं। ऐसे में हम जब एक-दूसरे के घर जाते हैं तो मिठाई भी लेकर जाते हैं। ऐसे में आप भी अपने परिवार के साथ इस तरह से सरस्वती पूजा का आयोजन कर सकते हैं।
सरस्वती पूजा के दिन पंडाल घूमते हैं
सरस्वती पूजा के दिन आप बच्चों के साथ बाहर भी घूम सकते हैं। इस दिन पूजा करने के बाद कई लोग एक-दूसरे के घर भी जाते हैं। वहीं सरस्वती पूजा के दिन हम घर पर भी कई तरह के व्यंजन बनाते हैं। सरस्वती पूजा के दिन सुबह पूजा के बाद अपने परिवार के साथ पंडाल भी जाते हैं।